Author: Jyoti Yadav, Youth Peer Leader, Protsahan India Foundation.
डिजिटल युग ने हमारे जीवन के हर पहलू को प्रभावित किया है। विशेष रूप से, डिजिटल साक्षरता ने शिक्षा, रोजगार, और सामाजिक न्याय के क्षेत्र में नई संभावनाएं और अवसर उत्पन्न किए हैं। आज के समय में, डिजिटल साक्षरता महिलाओं और लड़कियों के लिए एक शक्तिशाली उपकरण साबित हो रही है, जो उन्हें हिंसा, बाल विवाह, और शिक्षा की कमी जैसी सामाजिक बुराइयों से लड़ने में सक्षम बनाती है। महिला हिंसा एक गंभीर सामाजिक समस्या है जो न केवल शारीरिक, बल्कि मानसिक और भावनात्मक स्तर पर भी महिलाओं को प्रभावित करती है।
मेरा नाम ज्योति है। मैं प्रोत्साहन में एक डिजिटल ट्रेनर के रूप में काम कर रही हूँ। जब मैंने फ़ेलोशिप के दौरान अपने वरिष्ठों को बच्चों से बात करके उनकी समस्याओं का हल करते देखा, तो मैंने सोचा, “ये दीदी बच्चे से कनेक्ट कैसे हो जाती हैं?” मैं खुद से सवाल करती थी, “क्या मैं भी ऐसे ही बच्चों से जुड़ पाऊंगी? क्या मैं अपनी उम्र के बच्चों और बड़ी महिलाओं को पढ़ा पाऊंगी?” लेकिन जैसे-जैसे प्रोत्साहन के साथ काम करते-करते समय बीता, मेरा आत्मविश्वास भी बढ़ता गया। आज प्रोत्साहन में डिजिटल ट्रेनर के रूप में काम करते हुए मुझे दो वर्ष हो गए हैं। 2023 में मैंने एक लेखक पुरस्कार भी जीता। इस दौरान मैंने कई ऐसी चीज़ें सीखी और की, जिनसे मेरे अंदर आत्मविश्वास और आत्म-जागरूकता आई। अब मैं बच्चों की डिजिटल ट्रेनिंग और काउंसलिंग भी लेती हूँ। इसी दौरान मैं एक लड़की, प्रिया, से मिली।
प्रिया (बदला हुआ नाम) 18 साल की एक युवा लड़की है, जिसकी आँखों में सपने हैं और मन में कई अनसुलझे सवाल। प्रिया प्रोत्साहन इंडिया फाउंडेशन की ही एक स्टूडेंट है, जो DigiLab में डिजिटल लिटरेसी सीखने आती है। उसका जीवन किसी भी अन्य लड़की की तरह सामान्य लग सकता है, लेकिन उसके अंदर छुपे हुए भावनात्मक संघर्षों की कहानी कुछ और ही है। प्रिया बहुत शांत रहती थी और दोस्तों में भी काफी गुमसुम सी बैठी रहती। वह दोस्तों से कहती कि “मैं अब रहना नहीं चाहती, मैं अब मर जाऊंगी।” प्रिया से बात करने पर पता चला कि बचपन से ही प्रिया को घर में ऐसा माहौल नहीं मिला, जहाँ वह खुद को सुरक्षित और प्यार भरा महसूस कर सके। जब उसकी माँ ने 2016 के आसपास दूसरा विवाह किया, तब से प्रिया की परेशानियाँ शुरू हो गईं। नए पिता के घर में आते ही उसे शारीरिक और भावनात्मक रूप से प्रताड़ित किया जाने लगा। प्रिया को ऐसा लगने लगा जैसे उसका घर अब उसके लिए एक जेल बन गया है, जहाँ उसे हर दिन डर और उदासी के साथ जीना पड़ता है।
प्रिया मानसिक रूप से काफी सतर्क और जागरूक है। वह समस्याओं का समाधान निकालने में सक्षम है। जब भी कोई उससे बात करता है, तो वह ध्यान से सुनती है और अच्छे से आँखों में आँखें डालकर जवाब देती है। लेकिन उसकी मानसिक स्थिति के भीतर, भावनाओं का तूफान उमड़ता रहता है। उसका मूड अक्सर उदास रहता है, और कभी-कभी उसे आत्महत्या करने के विचार भी आते हैं। इसलिए प्रिया के काउंसलिंग सेशन भी लिए गए, जिसमें पता चला कि उसकी भावनाओं में बड़ा उतार-चढ़ाव होता है, जिससे यह लगता है कि वह अपने दिमाग पर नियंत्रण रखने के लिए कम सोचती है। हालाँकि प्रिया खुद को एक मजबूत और सहनशील व्यक्ति मानती है। वह हमेशा अपने परिवार की खुशी के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ देती है। उसके लिए, परिवार की ज़रूरतें उसकी अपनी ज़रूरतों से पहले आती हैं। उसे लगता है कि उसका परिवार चाहता है कि वह अपनी शिक्षा, बचपन की मासूमियत, और खेलने-कूदने के पलों का बलिदान करे ताकि परिवार खुश रह सके।
प्रिया को खाना बनाना बहुत पसंद है। वह एक अच्छी रसोइया है और नए-नए व्यंजन बनाने में माहिर है। उसे विश्वास है कि वह जीवन में आने वाली किसी भी कठिनाई का सामना कर सकती है, खासकर अपनी छोटी बहन के लिए। उसकी छोटी बहन ही उसकी प्रेरणा है, और प्रिया चाहती है कि वह एक अच्छा भविष्य देखे। जब प्रिया को समय मिलता है, तो उसे नाचना, कहानियाँ पढ़ना, और संगीत सुनना बहुत पसंद है। ये चीज़ें उसे उसकी उदासी से बाहर निकालने में मदद करती हैं।
प्रिया का सबसे बड़ा सपना है कि वह अपने परिवार के लिए पैसे कमाए। उसे लगता है कि अगर वह आर्थिक रूप से अपने परिवार की मदद कर सकेगी, तो उसे उनके सम्मान और प्यार का एहसास होगा। वह अपने परिवार से स्नेह, गर्मजोशी, और प्रोत्साहन की भूखी है, जो उसे अभी तक नहीं मिल पाया है। लेकिन जब भी उसके विवाह की बात चलती है, प्रिया बहुत उदास और क्रोधित हो जाती है। विवाह की चर्चा उसके लिए एक बड़ा ट्रिगर है। उसे लगता है कि अगर उसे जबरदस्ती विवाह के बंधन में बांधा गया, तो वह आत्महत्या कर लेगी। उसने कई बार कहा कि “वह 18 साल की उम्र से पहले आत्महत्या कर लेगी, बस ताकि उसे विवाह से बचने का रास्ता मिल सके।” उसकी सोच में अक्सर ऐसे विचार आते हैं, जिन्हें हम “कैटास्ट्रॉफाइजिंग” कहते हैं। यह एक ऐसी मानसिक स्थिति होती है जिसमें व्यक्ति को लगता है कि उसकी समस्याएँ इतनी बड़ी हैं कि उनका कोई हल नहीं है। इससे उसे लगता है कि उसकी जिंदगी में कोई भी समस्या अजेय है और वह उससे कभी भी उबर नहीं पाएगी। लेकिन इन सबके बावजूद, प्रिया के अंदर जीने की एक ललक है। वह जानती है कि उसके सपने और इच्छाएँ महत्वपूर्ण हैं। उसे बस जरूरत है, अपने आप को और अपनी भावनाओं को समझने की। उसके अंदर जो ताकत और सहनशीलता है, वही उसे आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करेगी। उसकी कहानी सिर्फ उसके संघर्षों की नहीं है, बल्कि उस उम्मीद की भी है, जो हर कठिनाई के बाद भी उसकी आँखों में चमक है। बस थोड़ा सा प्रोत्साहन ही तो शायद चाहिए।
लेकिन केवल प्रिया ही नहीं, हमारे समाज में और भी कई प्रिया जैसी लड़कियाँ हैं जो परिवार के समर्थन के अभाव में अपनी शिक्षा पूरी नहीं कर पातीं। न केवल आर्थिक समस्याएँ लड़कियों की शिक्षा में बाधा हैं, बल्कि परिवार का दृष्टिकोण भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। UNICEF द्वारा प्रकाशित लड़कियों की शिक्षा में लैंगिक समानता का अध्ययन दर्शाता है कि केवल 49% देशों ने प्राथमिक शिक्षा में लैंगिक समानता हासिल की है। माध्यमिक स्तर पर, अंतर बढ़ जाता है: 42% देशों ने माध्यमिक शिक्षा में लैंगिक समानता हासिल की है, और 24% ने उच्च माध्यमिक शिक्षा में लैंगिक समानता हासिल की है।
कारण अनेक हैं। लड़कियों की शिक्षा में बाधाएँ, जैसे कि गरीबी, बाल विवाह, और लिंग आधारित हिंसा, देशों और समुदायों के बीच भिन्न-भिन्न हैं। शिक्षा में निवेश करते समय, गरीब परिवार अक्सर लड़कों को प्राथमिकता देते हैं। कुछ स्थानों पर, स्कूल लड़कियों की सुरक्षा, स्वच्छता, या आवश्यकताओं को पूरा नहीं करते हैं। अन्य जगहों पर, शिक्षण पद्धतियाँ लिंग-उत्तरदायी नहीं होतीं, जिससे सीखने और कौशल विकास में लिंग अंतर होता है।
परिवार की सोच और दृष्टिकोण लड़कियों की शिक्षा को प्रभावित करते हैं। यदि परिवार प्रोत्साहन और समर्थन प्रदान करता है, तो लड़कियों को शिक्षा प्राप्त करने का अवसर मिलता है। लेकिन अगर परिवार रूढ़िवादी विचारों और लैंगिक भेदभाव को बढ़ावा देता है, तो लड़कियों की शिक्षा में रुकावटें आती हैं। समाज में समानता और प्रगति के लिए जरूरी है कि परिवार अपनी सोच को बदले और लड़कियों को शिक्षा का समान अधिकार प्रदान करे। परिवार का सकारात्मक दृष्टिकोण न केवल लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा देता है, बल्कि उनके आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता को भी मजबूत करता है।
प्रोत्साहन का काम केवल शिक्षा देना ही नहीं, बल्कि इन लड़कियों को जीवन की कठिनाइयों से लड़ने का हौसला और समर्थन भी देना है। हमारी कोशिश है कि हर प्रिया को उसकी ताकत का एहसास हो और वह अपने सपनों को पूरा करने के लिए आगे बढ़ सके। यह केवल उनकी शिक्षा का नहीं, बल्कि उनके भविष्य को संवारने का एक संकल्प है, और इसमें परिवारों की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण है। प्रोत्साहन का यह काम इन लड़कियों के जीवन में बदलाव लाने के लिए एक बड़ा कदम है, जो समाज में समानता और सशक्तिकरण का मार्ग प्रशस्त करता है।