Scroll Top

प्रवासी किशोरियों के लिए डिजिटल सशक्तिकरण: Migrant Slums में टेक्नोलॉजी क्रांति

IMG_9773 copy

Author: Govind Rathore, STEM Digilab Program & Mansi Mandhani, Communications

डिजिटल सशक्तिकरण व डिजिटल विभाजन का परिप्रेक्ष्य

आज के दौर में इंटरनेट संचार और सूचना प्राप्ति का एक शक्तिशाली उपकरण बन गया है। मगर यह सभी नागरिकों के पास सामान्य तौर पर उपलब्ध नहीं है। संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) द्वारा 27 अप्रैल 2023 को जारी रिपोर्ट “ब्रिजिंग द जेंडर डिजिटल डिवाइड” में दर्शाया गया है कि भारत में 100 लड़कों के मुकाबले केवल 61 लड़कियों के पास ही इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध है। यह डिजिटल विभाजन लड़कियों को अपने पंख फ़ैलाने से रोक सकता है।

हमारे पितृसत्तात्मक समाज में आए दिन लड़कियों को उनके अधिकारों से वंचित रखा जाता है। कई घरों में डिजिटल लिटरेसी सिर्फ बेटों तक सीमित रह जाती है। मुस्कान,16 वर्षीय छात्रा, ने डिजिटल लर्निंग सेशन के समय हमारे साथ साझा किया कि उसने पहली बार लैपटॉप को छुआ सेशन के दौरान, उसके घर में लैपटॉप होने के बावजूद। मुस्कान का भाई लैपटॉप चलता था, और मुस्कान को लैपटॉप इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं थी – उसे बोला जाता था कि उसके इस्तेमाल से लैपटॉप खराब न हो जाए।

इस हकीकत को हमें कोविड के समय कई बार देखने मिला। अगर घर में एक डिजिटल डिवाइस होता था तो वह बेटे को उपयोग के लिए दिया जाता था।  इस कारण डिजिटल सशक्तिकरण के द्वारा हमने लड़कियों को आगे बढ़ने में मदद करने का प्रयास किया है।

प्रोत्साहन उत्तम नगर के स्लम इलाकों में ‘स्टेम डिजिटल सेण्टर’ के द्वारा प्रवासी लड़कियों को डिजिटली सक्षम बनाते हैं। डिजिटल साक्षरता के साथ-साथ उन्हें करियर काउंसलिंग भी दी जाती है, जिसकी मदद से वे बाधाओं के बावजूद आत्मनिर्भर बन सकती हैं।

डिजिटल साक्षरता किशोरी लड़कियों के जीवन में उनके सपनो को उड़ान देने में मदद करती हैं और उन्हें हर तरीके से सक्षम बनती है। स्टेम डिजिटल लैब का उद्देश्य यही है – किशोरी लड़कियों को खुद को और अपने परिवार को बहतर जीवन देने के साधन देना।

हम चाहते थे कि हम इस डिजिटल सशक्तिकरण को ज़्यादा से ज़्यादा किशोरी लड़कियों तक पहुचाएं। इसलिए हमने तय किया की हम हमारी बनाई हुई पाठ्यचर्या को गवर्नमेंट स्कूलों की किशोरियों तक भी लेकर जाएँ।

इस उद्देशय के साथ हमने सरकारी स्कूलों में प्रिंसिपल से मुलाकात की। G.S.K.V. हस्तसाल स्कूल की प्रिंसिपल ने हमे बताया, “लड़कियों के लिए डिजिटल इंडिपेंडेंस बहुत जरुरी है, तभी वे आर्थिक तौर पर सक्षम बन पाएंगी, और अपना रास्ता खुद तय कर सकेंगी।” यहीं शुरू, सक्षम किशोरी से सक्षम नारी बनने का सफ़र!

डिजिटल साक्षरता: प्रोत्साहन की पहल से स्लम समुदाय में किशोरियों का परिवर्तन

जनवरी 2022 में प्रोत्साहन इंडिया फाउंडेशन ने स्टेम लर्निंग सेशंस को दिल्ली के सरकारी स्कूल में किशोरी लड़कियों के साथ करने की शुरुआत करी। इसके लिए हमने एक ढांचा तैयार किया जिसमें प्रत्येक डिजिटल सेशन के लेसन प्लान तैयार किये। स्कूल प्रशासन से अनुमति मिलने के बाद डिजिटल सेशंस की शुरुआत की गयी जिसमे विभिन कक्षाओं की लड़कियों को डिजिटल डिवाइस द्वारा ट्रेनिंग मिली।

डिजिटल कौशल को कक्षाओं में सिखाने के लिए हमने प्रोत्साहन डिजिटल सेण्टर की 4 विद्यार्थियों का चयन किया।  एक महीने के प्रशिक्षण के बाद इन माहिर विद्यार्थियों ने सरकारी कक्षाओं में खुद डिजिटल प्रशिक्षण किया! यह देखना एक कमाल की बात थी – एक तरफ वह किशोरी लड़कियां अपनी काबिलियत को और बहतर कर रही थीं, और दूसरी तरफ वे उत्तम नगर की और लड़कियों को प्रेरित भी कर रही थी!

सुजाता, सरकारी स्कूल में कक्षा 10 की छात्रा, ने हमे बताया,मैं कंप्यूटर सीखना चाहती थी, लेकिन घर में आर्थिक स्थिति ठीक हो पाने की वजह से नहीं सीख पा रही थी। अब इस प्रशिक्षण की मदद से मैं कम्प्यूटर चलाना सीख गई हूँ, और ऑनलाइन पोर्टल से अपने फॉर्म भी भर पाती हूँ। यह फॉर्म भरकर मैंने अपने पिताजी को अपना लेबर कार्ड बनाने में मदद की थी, जिसकी वजह से construction के काम रुकने पर उन्हें ५०००/- की राशी भी मिली! मुझपर मेरे मातापिता बहुत गर्व करते हैं!”

एक और उदाहरण – मानसी एक कक्षा नौवीं की छात्रा है जो सही तरीके से चल और देख नहीं सकती थी। उसने जब पहली बार लैपटॉप चलाने की कोशिश की तो कक्षा के बच्चे उसे चिढ़ाने लगे।

सोनी, फ़ेलोशिप एग्जीक्यूटिव, बताती है, “हमने मानसी का हौसला बढ़ाया और आगे बढ़ कर उसे लैपटॉप दिया, उसकी ख़ुशी की सीमा न थी, और उसने काफी देर तक डर-डर के लैपटॉप चलाया। धीरे धीरे उसकी उंगलियों को कीबोर्ड की बटने रट गयी। डिजिटल कौशल का प्रभाव अलग था – उसके चेहरे पर साफ़ दिख रहा था उसका आत्मविश्वास और महत्वाकांक्षा।”

शारीरिक असक्षमता और पितृसत्तात्मक समाज के हालात मानसी की ज़िन्दगी में कई बाधाएं पेश करते हैं — डिजिटल कौशल के ज़रिये इन बाधाओं से आगे उभरने का एक रास्ता खुल जाता है।

सरकारी सुविधाएं, साइबर सेफ्टी, और स्टेम – डिजिटल प्रशिक्षण के भाग

प्रशिक्षण के दौरान लड़कियों को साइबर सेफ्टी, साइबर बुलइंग, फाइनेंसियल फ्रॉड, ऑनलाइन कम्प्लेन, और कई मुद्दों पर जागरूक भी किया गया। हमने अपने साइबर सेफ्टी के लर्निंग सेशन में यह अनुभव किया कि जितनी भी लड़कियों को इंटरनेट की बुनियादी समझ है, उनमें भी साइबर सेफ्टी बेस्ट प्रैक्टिस का अभाव है। इंटरनेट पर अपनी निजी जानकारी को सुरक्षित रखना अत्यंत आवश्यक है। इसकी जानकारी भी लड़कियों के साथ साँझा की गयी।

हिना, 11 कक्षा की छात्रा सरिता ने हमे बताया, “मेरी इंस्ट्रग्राम पोस्ट पर गलत टिप्पणी की गयी और जानकारी न होने की वजह से उस समय कुछ नहीं कर पायी। अब मुझे www.cybercrime.gov.in की वेबसाइट के बारे में पता है और जरूररत पड़ने पर इस जानकारी का उपयोग कर पाऊँगी।”

इसके अलावा लड़कियों को अहम सरकारी दस्तावेज़, जैसे राशन कार्ड, लेबर कार्ड, वोटर कार्ड, आधार कार्ड और इनकम सर्टिफिकेट से ऑनलाइन जुड़ने की प्रक्रिया भी समझाइ गयी। सरकारी दस्तावेज़ों की अहमता बहुत अधिक है – इनसे जनसुविधाओं को प्राप्त करना आसान हो जाता है।

उत्तम नगर के स्लम इलाकों में रहने वाले मजदूर और उनके परिवार, जिनके साथ हम काम करते हैं, ज़्यादातर प्रवासी व्यक्ति होते हैं, जिनके पास इन दस्तावेज़ों की कई बार जानकारी नहीं होती है। जब हम किशोरी लड़कियों को इन दस्तावेज़ों की जानकारी देते हैं, तब वे सिर्फ खुद को नहीं, बल्कि अपने साथ कई और समुदाय के लोगों को इनसे जोड़ने की क्षमता रखती हैं। कामिनी, कक्षा 12 की छात्रा ने हमे बताया, “यह जानकारी मिलने से मुझे बहुत सीखने को मिला है और अब मैं सरकारी वेबसाइट पर फॉर्म खुद भर सकती हूँ। मुझे अब साइबर कैफ़े के चक्कर नहीं काटने पड़ते और न पैसे देने पड़ते हैं जनसुविधाएं पाने के लिए।।”

हमने यह भी जाना कि डिजिटल और स्टेम प्रशिक्षण के द्वारा किशोरी लड़कियों का आत्मविश्वास भी बढ़ता है। सुहानी, 14 वर्ष की छात्रा हमें बताती है, “मैं घर में लाइट और पंखे को खुद सही कर सकती हूँ। अब मुझे  पापा या भाई के भरोसे नहीं बैठना पड़ता — यह मैंने STEM kits की मदद से सीखा है।”

प्रोत्साहन द्वारा मिले डिजिटल एम्पावरमेंट, साइबर सेफ्टी और स्टेम टूकलित को पद-चिन्ह बनाकर उत्तम नगर की प्रवासी बच्चियां ना केवल अपने कौशल बढ़ा रहि है बल्कि अपनी योग्यता और सामर्थ्य को पहचानकर अपने सशक्तिकरण का रास्ता खुद बना रही है।

[इस लेख में किशोरी लड़कियों के नाम बदल दिए गए हैं।]

Leave a comment

You cannot copy content of this page