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नए शहर में प्रशिक्षण का अनुभव, अज़ीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी में युवाओं के संग

Youth Peer Leaders Bangalore Training Cover Photo

Author: Mala Kumari, Youth Peer Leader, Protsahan

हाल ही में हमें बैंगलोर में अज़ीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी में प्रशिक्षण के लिए प्रोत्साहन इंडिया फाउंडेशन से चयनित किया गया। इसमें हम – माला, सुधा, और अंजलि – युथ पीयर लीडर्स हिस्सा बने| इस प्रशिक्षण का हिस्सा बनने के लिए और नई चीज़ें सीखने के लिए हम बहुत उत्सुक थे, क्योंकि पहली बार हम अपने शहर से दूर बैंगलोर जा रहे थे।

अंजलि बताती है, “जब मुझे पता चला कि हमको अज़ीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी जाना है, और वो भी बिना किसी सीनियर के, तब थोड़ा सा डर लग रहा था। अंजान शहर में किसपर विश्वास करें? और जब पेरेंट्स से बात की, कि हमें १५ दिनों के प्रशिक्षण के लिए बैंगलोर जाना हैं फ्लाइट्स से, पेरेंट्स को समझाना आसान नहीं था। लेकिन आखिरकार मैंने पेरेंटस को मना ही लिया!” 

अंजलि यह भी कहती है, “रिश्तेदारों को जब पता चला कि लड़की बैंगलोर जा रही है, उन्होंने बोला बहुत उड़ रही है – जिसका जवाब मेरे पापा ने दिया, ‘उड़ के ही जाएगी एरोप्लेन से!'” सीखने की शुरुआत घर से ही हो गयी थी, अपनी वेब चेकिंग करके।

जब सब सो रहे थे तब हमने अपने नए सफ़र की शुरुआत की, और हम आख़िरकार सुरक्षित बैंगलोर पहुँच गए| जब हम पहुंचे तो वहां कोई भी लिंग-आधारित भेदभाव नहीं था और हम खुद को सुरक्षित महसूस कर रहे थे। वैसे ही हमने अज़ीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी के कैंपस में अपने पहले दिन के भ्रमण में अनुभव किया। 

इस प्रशिक्षण में ३० युवा लीडर्स थे, जोकि अलग-अलग राज्यों से आये थे। हमें अलग-अलग भाषाएँ बोलने वाले लीडर्स से सीखने का मौका मिला! यँहा हमें विविधता में एकता का एहसास हुआ, और अलग-अलग राज्यों से आए युवा पीयर लीडर्स से मिलना अच्छा लगा|

अज़ीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी की लाइब्रेरी मेरे लिए बहुत अविस्मरणीय रहेगी। यह पाँच मंज़िल की लाइब्रेरी मेरी इमेजिनेशन से बड़ी लगी, जिसमें खाली समय में मनपसंद किताबें पढ़ना मुझे बहुत पसंद आया। अज़ीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी के म्यूजिक रूम में, जहाँ हम अपने मन से किसी भी वाद्ययंत्र का उपयोग कर सकते थे और हमें कोई रोकने वाला नहीं था, हम खुद को आज़ाद महसूस कर रहे थे| हमें अपने तनाव को कम करने के लिए और मनोरंजन के लिए कई तरह कि गतिविधियाँ कराई जाती थी, जिससे हम खुद को बहुत खुशनुमा महसूस करते थे| 

इन १५ दिनों के प्रशिक्षण में हमने ‘विकास’ को कई नज़रियों से समझा। सुधा बताती है, “मुझे वीडियोस, एक्टिविटीज़ के ज़रिये विकास के बारे में बहुत कुछ सीखने को मिला। साथ ही हमने यह भी जाना कि समाज के मुद्दों के बारे में गहराई से कैसे समझें। अधिकारों के प्रति जागरूकता, महिलाएं और पितृसत्ता, सेक्स व जेंडर में भेद, कल्याण अधिकार, और महिला सशक्तिकरण आदि विषयों पर चर्चा की, जिससे हमारी समझ बढ़ी।” 

हमने अलग-अलग लीडर्स से समझा कि हम कैसे कम्युनिटी में बहतर काम कर सकते है| साथ ही हमने सरकार के अंगो, कार्यों व शक्तियों के बारे में सीखा, और इससे योजना व स्कीम जैसे विषयों  में अंतर करना आसान हुआ। 

इस प्रशिक्षण की लर्निंग्स यहीं ख़तम नहीं होती। जैसे हम इनको लेकर किशोरी लड़कियों के साथ हमारे काम में आगे बढ़ते हैं, यह उन हज़ारों लड़कियों के लिए एक शुरुआत है जिनके साथ प्रोत्साहन काम कर रहा है|

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